Saturday, September 28, 2013

इक जरा सी रंजिश से

इक जरा सी रंजिश से,
शक की जर्द टहनी पर
फूल बदगुमानी के,
कुछ इस तरह से खिलते है...
ज़िन्दगी से प्यारे भी,
अजनबी से लगते है...
उम्र भर की चाहत को,
आसरा नहीं मिलता....
हाथ छूट जाते है,
साथ टूट जाते है,
और...
सिरा नहीं मिलता....
..................इक जरा सी रंजिश से....

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