Wednesday, October 2, 2013

बापू और शास्त्री

आदरणीय बापू और शास्त्री जी,

आज आप दो महान हस्तियों का जन्मदिवस है.... और मैंने अब तक ये भी नहीं सोचा की मुझे किसके जन्मदिवस की बधाई देनी है और किसको नज़रअंदाज़ कर देना है... आज कल के 'ट्रेंड' को ध्यान में रखते हुए आप दोनों में से सिर्फ एक को ही चुना जा सकता है ना...हमने तो अपने आदर्श भी बाँट लिए हैं अब... गांधी जी, आप को याद करने वालों को हमारे हिंदूवादी भाइयों की फटकार खाते आम देखती हूँ.. फिर बदले में हिंदूवादी भाई लोग शास्त्री जी पर कब्ज़ा कर लेते है.... वो तो अच्छा हुआ की खुदा ने आप दोनों को अपने पास बहुत पहले ही बुला लिया था.. अगर आज आप हमारे बीच होते तो शर्म से फिर मर जाते..

बापू, आपको तो क़त्ल किया था ना हमने... पर वो तो आपके शरीर को मारना था सिर्फ... आपकी आत्मा, आपके विचार, आपके सपनों की हत्या हम रोज किए दे रहे है... पूरी बेशर्मी से... अच्छा ही है जो आज आप नहीं है... वरना आपको गालियां दे देकर बुद्धिजीवी कहलाने वाले हम कृतघ्नों को देख कर आप की निगाह शर्म से झुक जाती...

और शास्त्री जी, जितनी संदिग्ध परिस्थितियों में आपकी मौत हुई थी उससे ज्यादा संदिग्ध आज हमारे ज़हन हो चुके है... आपका वो नारा जो कभी पूरे देश को इकठ्ठा करने के काम आया करता था, चुनावी हथकंडा बन के रह गया है... आप भी वक्त रहते परलोक सिधार गए.. अच्छा ही हुआ...

वैसे हम इस बात के लिए आपके जरुर शुक्रगुजार है की आपने हम आलसियों के देश को एक छुट्टी मुहैया कराई... आपका हमारे जीवन में बस इतना ही योगदान है.... बस वो ड्राई-डे वाला पंगा डाल के आपने बनी-बनाई खीर में मक्खी डाल दी.. पर हमने उसका तोड़ भी निकाला हुआ है... नो प्रॉब्लम...

और हां, इस मुगालते में मत रहिएगा की हम आपको सच्ची श्रद्धांजलि देने के चक्कर में अपनी जीवनशैली बदलेंगे... हम तो ऐसे ही रहेंगे... और अगर कोई हमें ज्ञान बांटने आएगा तो उसपर वो सामूहिक हमला करेंगे की सारा ज्ञान भूल जाएगा...

विनीत,

आपके पीछे सच में ही बनाना-रिपब्लिक बन चुके एक देश में मौजूद हजारो मैंगो पीपल्स में से एक अहमक,
ज़ारा अकरम खान...

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