हम वो बेशर्म है,
हम वो बेदर्द है,
ख्वाब गंवाकर भी जिन्हें नींद आ जाती है.....
सोच सोच कर भी,
जिनके ज़हनों को कुछ नहीं होता....
टूट फूट के भी,
जिनके दिल धड़कना याद रखते है...
हम वो बेशर्म है,
हम वो बेदर्द है,
टूट कर रोने की कोशिश में जो,
बात बे बात मुस्कुराते है...
शाम से पहले मर जाने की ख्वाहिश लिए,
जीते है...
और...
जीते चले जाते है...
-------- अज्ञात.
हम वो बेदर्द है,
ख्वाब गंवाकर भी जिन्हें नींद आ जाती है.....
सोच सोच कर भी,
जिनके ज़हनों को कुछ नहीं होता....
टूट फूट के भी,
जिनके दिल धड़कना याद रखते है...
हम वो बेशर्म है,
हम वो बेदर्द है,
टूट कर रोने की कोशिश में जो,
बात बे बात मुस्कुराते है...
शाम से पहले मर जाने की ख्वाहिश लिए,
जीते है...
और...
जीते चले जाते है...
-------- अज्ञात.
No comments:
Post a Comment