Friday, September 13, 2013

जाने ये लोग मुहब्बत को कहां रखते है

इतनी शिद्दत से इंतज़ार तो मुझे अपने दूल्हे का भी नहीं जितनी शिद्दत से मुझे 2014 का इन्तजार है.... आ के ही नहीं दे रहा कमबख्त.... आ जाए तो फेसबूकिया बुद्धिजीवियों से कुछ राहत मिले.... आ भी जाओ दुष्ट.... वरना फेसबुक पर नेट वीरों की अकल के टूटते तारे देख देख कर मैं पागल हो जाउंगी....

अपने सीने में तो नफरत को बहा रखते है...
जाने ये लोग मुहब्बत को कहां रखते है.....

No comments:

Post a Comment