उसे ये कौन समझाए....?
वो दश्त-ए-ख़ामोशी में
उँगलियों में सींपे पहने
किसी सूखे समंदर की
अधूरी प्यास की बातें
बहुत चुपचाप सुनता है...
बहुत खामोश रहता है...
उसे ये कौन समझाए....?
ख़ुशी के एक आंसू से,
समंदर भर भी सकते है....
बहुत खामोश रहने से,
ताल्लुक मर भी सकते है....
उसे ये कौन समझाए.....?
-----------------अज्ञात.
वो दश्त-ए-ख़ामोशी में
उँगलियों में सींपे पहने
किसी सूखे समंदर की
अधूरी प्यास की बातें
बहुत चुपचाप सुनता है...
बहुत खामोश रहता है...
उसे ये कौन समझाए....?
ख़ुशी के एक आंसू से,
समंदर भर भी सकते है....
बहुत खामोश रहने से,
ताल्लुक मर भी सकते है....
उसे ये कौन समझाए.....?
-----------------अज्ञात.
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