मुखौटा
हमेशा ही नहीं रहते सभी चेहरे नकाबों में, सभी किरदार खुलते है कहानी ख़त्म होने पर..!!!
Thursday, March 20, 2014
क्रांतिकारी व्यंग
आज सुबह किसी बात पर छोटी बहन रूठ गई. तो मैंने उसे कहा, "सुबह सुबह क्यूँ आडवाणी हो रही है ?"
उसकी तो समझ में ही नहीं आया.
बताओ तो, हमारा इतना क्रांतिकारी व्यंग फिजूल चला गया.
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