Monday, November 25, 2013

क्यूँ देखे ज़िन्दगी को किसी की नज़र से हम

ले-देके अपने पास फकत इक नज़र तो है,
क्यूँ देखे ज़िन्दगी को किसी की नज़र से हम....

------- ऐसी मानीखेज़ बात 'साहिर' के अलावा कौन कह सकता है..?

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