Tuesday, November 19, 2013

हम मर्दों ने नारी तुझको कितने रूप दिए

कितने अफ़सोस की बात है की जिन्हें कविता का मतलब भी नहीं पता वो फेसबुक पर सेलेब्रिटी बने घूम रहे है और Gurvinder Singh जी जैसी प्रतिभा एकाध कमेन्ट के लिए भी तरस रही है.... एक बेहतरीन कविता.. और भी अच्छी कविताओं के लिए इनकी वाल पर जरुर विजिट करे. सीधे सादे, आडम्बररहित शब्दों में गहरी से गहरी बात कह जाने की इनकी प्रतिभा को सलाम... ऐसी प्रतिभाओं का अलक्षित सा गुजर जाना अन्याय होगा. 
हम मर्दों ने नारी तुझको कितने रूप दिए....

कभी रौंद दिआ..कभी मस्ल दिआ...
कभी काट दिआ..कभी कत्ल किया..
कभी धक्का दे दिया गाड़ी से
कभी आग लगा दी साड़ी पे....
कभी कौख़ मे मार दिया
कभी गोद़ मे मार दिया
कभी श़क मे मार दिया
कभी शौक़ मे मार दिया.....
कभी भाई ने मार दिया
कभी बाप ने मार दिया
तू फिर भी बच्च निकली
तो ख़ाप ने मार दिया..........
तुझ़े कैैद़ किया तुझ़े हरम़ दिए
झूठे वादे और भरम दिए.....
तू पूजे जिसेे सिदूंरो मे
वही भूने तुझे तंदूरो मे.....
हर मन मे काम की आग यहां
इक तरफा ईश्क रिवाज़ यहां
तू मना करे तेरी ताब़ कहा
हर हाथ में है तेज़ाब यहां.....
तू मां है बहन है सबला है आचंल मे दूध लिए
हम मर्दो ने नारी तुझको कितने रूप दिए......
.......बसंत विहार काडं के सदर्भं मे......
..........गुरविदंर...........

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