Saturday, November 23, 2013

मेरा पैगाम मुहब्बत है जहां तक पहुंचे

आज एक बार फिर जिगर मुरादाबादी के इन शब्दों में पनाह तलाशनी पड़ रही है...

"उनका जो काम है वो अहले सियासत जाने,
मेरा पैगाम मुहब्बत है जहां तक पहुंचे.."

No comments:

Post a Comment