Monday, August 12, 2013

मैं इसी धूप में खुश हूं कोई साया न करे

हाल पूछा न करे हाथ मिलाया न करे
मैं इसी धूप में खुश हूं कोई साया न करे

मैं भी आखिर हूं इसी दश्त का रहने वाला
कैसे मजनूं से कहूं खाक उड़ाया न करे

आईना मेरे शबो रोज़ से वाकिफ़ ही नहीं
कौन हूं, क्या हूं, मुझे याद दिलाया न करे

ऐन मुमकिन है चली जाय समाअत मेरी
दिल से कहिये कि बहुत शोर मचाया न करे

मुझ से रस्तों का बिछडऩा नहीं देखा जाता
मुझसे मिलने वो किसी मोड़ पे आया न करे

------------ काशिफ हुसैन.

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