समाज के दो चेहरे.. एक ही परिवार से.. एक तरफ तो वहशियाना हरकत करता
दरिंदा बेटा है तो दूसरी तरफ ममता पर इन्साफ को तरजीह देने वाली बेइंतेहा
हौसलामंद माँ.. समझ में नहीं आता कि बेटे की करतूत पर लानत भेजना ज्यादा
अहम है या ऐसी इंसाफपसंद माँ की हौसला-अफजाई करना ज्यादा जरुरी है.
पश्चिम बंगाल के चौबीस परगना जिले की एक घटना में एक माँ ने अपने बेटे को
खुद गिरफ्तार करवाया जब बेटे ने आकर उसे बताया कि वो एक सात साल की बच्ची
के साथ दुष्कर्म कर के आया है. माँ ऐनुर बीबी ने सब से पहले तो बच्ची
को अस्पताल पहुंचाया और उसके बाद सीधे थाने पहुंची. अपनी ही औलाद के खिलाफ
कम्प्लेंट दर्ज करवाने. पुलिस ने उसके बेटे को गिरफ्तार किया और बच्ची के
परिजनों को सूचना दी. बच्ची के परिजन तब तक पूरे घटनाक्रम से अनजान थे.
पुत्र-मोह में अंधे हो जाने वाले लोगों की मिसालें तो आये दिन देखने को
मिलती है. इन्साफ को सर्वोपरि मान कर अपनी औलाद तक को ना बख्शने वाली ऐसी
अनोखी माँ की जितनी तारीफ़ की जाए कम है. हमारे समाज को ऐसी बहुत सी ऐनुर
बीबीयों की जरुरत है. कहते है कि जब हर दरवाज़ा बंद हो जाता है, घर का
दरवाज़ा तब भी खुला रहता है. अपराधियों के लिए ये आखिरी पनाहगाह भी जब बंद
होने लगेगी तभी दिन ब दिन बढ़ते जा रहे वहशियाने गुनाहों में कमी आएगी.
शाबाश ऐनुर बीबी..!!!
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