पेप्सिको की सीईओ इंदिरा नूई, जो भारत में पली-बढ़ी तो है लेकिन पिछले तीस-पैंतीस सालों में शायद ही कभी भारत आई है. फिर भी वो भारतीय है और हमें उन पर गर्व है...
एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स का भारत से महज इतना रिश्ता है कि उनके पुरखे भारत से आये थे. वो भी सिर्फ पिता की तरफ के. लेकिन वो भी भारतीय 'मूल' की है और हमें उन पर गर्व है....
यही किस्सा अमेरिकन राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त और सम्प्रति अमेरिका के लुइसियाना प्रांत के गवर्नर बॉबी जिंदल के साथ भी है. उनके माता पिता उनके जन्म से छः महीने पहले ही पंजाब छोड़कर अमेरिका जाकर बस गए थे. लेकिन वो भी भारतीय 'मूल' के हैं और हमें उन पर गर्व है.
हमें गर्व है उन सभी एनआरआई लोगों पर जो महज़ कहने के लिए भारत से सम्बंधित है लेकिन सफल हैं.
नोबेल पुरस्कार विजेता वी.एस.नायपॉल से लेकर माइक्रोसॉफ्ट सीईओ सत्या नडेला तक, फिजी के प्रधानमन्त्री महेंद्र चौधरी से लेकर 'अ सूटेबल बॉय' के लेखक विक्रम सेठ तक सब पर हमें गर्व है. सभी हमारे अपने 'भारतीय' हैं.
लेकिन....
विश्व टेनिस में भारत की बरसों तक पहचान बनी रही सानिया मिर्ज़ा भारतीय नहीं पाकिस्तानी है. वो सानिया मिर्ज़ा जिसने भारत जैसे टेनिस में फिसड्डी मुल्क का प्रतिनिधत्व करते हुए मार्टिना हिंगिस, स्वेतलाना कुजनेत्सोवा और विक्टोरिया अजारेंका जैसी दिग्गज खिलाड़ियों पर जीत दर्ज की. जो पहली ''भारतीय'' टेनिस खिलाड़ी थी जिसने किसी भी तरह का 'डब्ल्यूटीए टूर टाइटल' जीता था. जो आज तक हाईएस्ट रैंकड ''भारतीय'' महिला टेनिस प्लेयर है. जिसने मुल्लाशाही से जम कर लोहा लिया और तिरंगे की शान बढाते हुए जी जान से खेली. वो सानिया मिर्ज़ा भारतीय नहीं है.
हैं न कमाल...!!!
खैर, हमें क्या ? रोती है तो रोती रहे सानिया. पाकिस्तानियों से हमदर्दी रखने का चलन नहीं है मेरे भारत महान में.
वैसे ये 'वसुधैव कुटुम्बकम' का नारा किस मिट्टी की उपज था ???
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