साकी, शराब और मयखाने में मसरूफ रहने वाले पंकज
उधास साहब ने कई बार जाम को दरकिनार कर और ग़ज़लें भी गाई है... जिनमे से कुछ
बेहतरीन बन पड़ी है....
ऐसी ही एक ग़ज़ल पेशे-खिदमत है......
चाहत देश से आने वाले ये तो बता की सनम कैसे हैं
दिलवालों की क्या हालत है, प्यार के मौसम कैसे हैं
क्या अब अभी कोई बातों बातो में रोता है हँस देता है
उस राह की खुशिया कैसी हैं, उन गलियों के गम कैसे हैं...
क्या उसने हमारा नाम लिया, क्या उसने कभी हमें याद किया
क्या उसने कभी तुमसे पूछा, किस हाल में है हम कैसे हैं....
जुगनू, शबनम, तारे बनकर मेरे आंसू ढूंढ रहे हैं
आने वाले तू ही बता दे, मेरे हमदम कैसे हैं....
http://www.youtube.com/watch?v=tCbtNYIr4Jw
ऐसी ही एक ग़ज़ल पेशे-खिदमत है......
चाहत देश से आने वाले ये तो बता की सनम कैसे हैं
दिलवालों की क्या हालत है, प्यार के मौसम कैसे हैं
क्या अब अभी कोई बातों बातो में रोता है हँस देता है
उस राह की खुशिया कैसी हैं, उन गलियों के गम कैसे हैं...
क्या उसने हमारा नाम लिया, क्या उसने कभी हमें याद किया
क्या उसने कभी तुमसे पूछा, किस हाल में है हम कैसे हैं....
जुगनू, शबनम, तारे बनकर मेरे आंसू ढूंढ रहे हैं
आने वाले तू ही बता दे, मेरे हमदम कैसे हैं....
http://www.youtube.com/watch?v=tCbtNYIr4Jw
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