Thursday, May 9, 2013

चले जो हो तो बता के जाओ

चले जो हो तो बता के जाओ,
---------------के कितनी शामे उदास आँखों में काटनी हैं
---------------के कितनी सुबहे अकेलेपन में गुजारनी है
बता के जाओ,
---------------के कितने सूरज अज़ाब रास्तों को देखना हैं
---------------के कितने महताब सर्द रातों की वहशतों से निकालने हैं
बता के जाओ,
---------------के चाँद रातों में वक्त कैसे गुज़ारना हैं
---------------खामोश लम्हे में तुझको कितना पुकारना हैं
बता के जाओ,
---------------के कितने लम्हे शुमार करने हैं हिज्र रातों के
---------------के कितने मौसम एक एक करके जुदाइयों में गुज़ारने हैं
बता के जाओ,
---------------के पंछियों ने अकेलेपन का सबब जो पूछा तो क्या कहूँगी
---------------बता के जाओ के किससे तेरा गिला करुँगी
---------------बिछड़ के तुझसे, किससे फिर मैं मिला करुँगी
बता के जाओ,
---------------के आँख बरसी तो कौन मोती चुना करेगा
---------------उदास लम्हों में दिल की धड़कन सुना करेगा
बता के जाओ,
---------------के मौसमों को पयाम देने हैं या नहीं हैं
---------------फलक को, तारों को, जुगनुओं को सलाम देने हैं या नहीं हैं
बता के जाओ,
---------------के किसपे हैं ऐतबार करना
---------------तो किसकी बातों पे बेनियाज़ी के सिलसिले इख्तियार करने हैं
बता के जाओ,
---------------के अब सितारों की चाल क्या हो
---------------जवाब क्या हो, सवाल क्या हो
---------------उरूज क्या हो, जवाल क्या हो
---------------निगाह, रुखसार, जुल्फ, चेहरा निढाल क्या हो
बता के जाओ,
---------------के मेरी हालत पे चांदनी खिलखिला पड़ी तो मैं क्या कहूँगी..??
बता के जाओ,
---------------के मेरी सूरत पे तीरगी मुस्कुरा पड़ी तो मैं क्या करुँगी...?
बता के जाओ,
---------------के तुमको कितना पुकारना हैं..?
---------------बिछड़के तुमसे ये वक्त कैसे गुजारना हैं...??
---------------उजाड़ना हैं....?
---------------निखारना हैं...?
चले जो हो तो बता के जाओ,
के लौटना भी हैं या..........................????

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