Thursday, May 16, 2013

अपनी आग को ज़िन्दा रखना कितना मुश्किल है

अपनी आग को ज़िन्दा रखना कितना मुश्किल है,
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है....

कितना आसान है तस्वीर बनाना औरों की,
खुद को पसे–आईना रखना कितना मुश्किल है...

तुमने मन्दिर देखे होंगे ये मेरा आँगन है,
एक दिया भी जलता रखना कितना मुश्किल है....

चुल्लु में हो दर्द का दरिया ध्यान में उसके होंठ,
यूँ भी खुद को प्यासा रखना कितना मुश्किल है....


http://www.youtube.com/watch?v=YNGmpg2Wx9o

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