Saturday, May 4, 2013

रास्तों की मर्ज़ी है

बेजमीन लोगों को
बेकरार आँखों को
बदनसीब क़दमों को
जिस तरफ भी ले जाए
.............रास्तों की मर्ज़ी हैं.

बेनिशान ज़जीरों पे
बदगुमान शहरों में
बेजुबान मुसाफिर को
जिस तरफ भी भटका दे
.............रास्तों की मर्ज़ी हैं.

रोक ले या बढने दे
थाम ले या गिरने दे
वस्ल की लकीरों को
तोड़ दे या मिलने दे
.............रास्तों की मर्ज़ी हैं.

अजनबी को लेकर हमसफ़र बना डाले
साथ चलने वालों की राख तक उड़ा डाले
या मुसाफते सारी ख़ाक में मिटा डाले
.............रास्तों की मर्ज़ी हैं.

-------------- अज्ञात.

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