सुना है पेंगुइन इंडिया ने हिन्दू धार्मिक भावनाएं आहत करने वाली किताब THE HINDUS: AN ALTERNATIVE HISTORY पर बैन लगा दिया है. लेकिन अगर पेंगुइन इंडिया में से कोई भी हरी मोहन झा द्वारा लिखित 'खट्टर काका' पढ़ लेता तो इस बैन को लगाने की नौबत ही नहीं आती. खट्टर काका पिछले पचास सालों से एक बेस्ट सेलर किताब रही है. मैंने the hindus तो नहीं पढ़ी लेकिन मेरा दावा है कि खट्टर काका उससे कही गुणा ज्यादा भयंकर किताब है. हिन्दू धर्म की सबसे पवित्र मान्यताएं, आचार विचार आदि पर लेखक ने ज़बरदस्तप्रहार किया है. व्यंग की धार इतनी तेज़ है कि आप कही ठहाका लगाते है तो कहीं सोचने पर विवश हो जाते है. ये कई मायनों में एक अद्भुत किताब है. और सबसे बड़ी बात ये कि ये बेहद प्रसिद्ध है. धडाके से बिकती है. अब तक कई संस्करण आ चुके है. जबकि इसमें बारूद भरा हुआ है. आपसे गुजारिश है कि THE HINDUS: AN ALTERNATIVE HISTORY पर लगे बैन का समर्थन करने से पहले एक बार 'खट्टर काका' पढियेगा जरुर. ये किताब ऑनलाइन परचेज के लिए सहज उपलब्ध है. राजकमल पेपरबैक्स के ऑफिस से भी मंगाई जा सकती है. दिल्ली में विश्व पुस्तक मेला लगा है. वहां पर ये जरुर उपलब्ध होगी.
एक स्वीकारोक्ति करना चाहूंगी यहाँ पर. खट्टर काका मेरे कलेक्शन में तकरीबन पांच साल से है. यदा कदा पढ़ लेती हूँ. हमेशा पढ़कर इस बात का सुकून महसूस किया करती थी कि हिन्दू धर्म में इतनी सहिष्णुता तो है कि वो आत्म-आलोचना को बेहद खुले रूप में स्वीकारने की हिम्मत रखता है. बेहद अच्छी लगती थी ये बात मुझे. लेकिन THE HINDUS पर लगे बैन ने दिल तोड़ दिया. इसलिए नहीं की वो किताब अच्छी है. मेरा विश्वास है कि वो किताब जरुर भ्रामक तथ्य पेश करती है लेकिन पाबंदी लगाना कोई हल नहीं है. सलमान रुश्दी, तसलीमा नसरीन आदि पर जारी फतवे पहले ही मुझे निराश करते आये है. अब इस किताब पर बैन ने जैसे कट्टरता और सहिष्णुता का भेद ही मिटा दिया. ये अलग अलग धार्मिक आस्थाएं स्कोर लेवल करने के लिए इतनी आतुर क्यूँ रहती है ?
खैर, बहस में नहीं पड़ते है. आप खट्टर काका पढ़िए. जरुर जरुर जरुर पढ़िए. इसलिए नहीं कि इसमें किसी धर्म-विशेष में स्थापित रुढियों पर प्रहार किया गया है बल्कि अपने आप को ये याद दिलाने के लिए कि हम वही भारतीय है जिसने 'खट्टर काका' जैसी किताब को खुले मन से सराहा था.
वैसे किस किस ने ये किताब पढ़ी है ? मैं जरुर जानना चाहूंगी.
No comments:
Post a Comment