हेमराज-आरुषि हत्याकांड के सन्दर्भ में एक जगह मेरे द्वारा की हुई टिप्पणी -
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हमारे समाज की सोच :-
लड़के ने मुंह काला किया तो समझिये आपने घर में बैठकर गली में थूका...
और वही हरकत लड़की ने की तो समझिये गली में से घर में थूका....
अब इस पैमाने पर जब परखा जाएगा तो मरेंगी तो आरुषियां ही ना...?
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उसकी जगह कोई आरुष होता तो थोड़ी सी डांट खाकर बच जाता. शायद पिता अकेले में अपनी पत्नी से कहता की लड़का जवान हो गया है. वो आरुषि थी इसीलिए मारी गई.
तो moral of the story ये की आरुषि बनने में नुकसान ही नुकसान है. फिर भले ही आप जहीन हो, स्मार्ट हो, टीचर्स की दुलारी हो आपका आरुषि होना ही आपके वजूद पर सवालिया निशान लगाने के लिए काफी है..
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हमारे समाज की सोच :-
लड़के ने मुंह काला किया तो समझिये आपने घर में बैठकर गली में थूका...
और वही हरकत लड़की ने की तो समझिये गली में से घर में थूका....
अब इस पैमाने पर जब परखा जाएगा तो मरेंगी तो आरुषियां ही ना...?
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उसकी जगह कोई आरुष होता तो थोड़ी सी डांट खाकर बच जाता. शायद पिता अकेले में अपनी पत्नी से कहता की लड़का जवान हो गया है. वो आरुषि थी इसीलिए मारी गई.
तो moral of the story ये की आरुषि बनने में नुकसान ही नुकसान है. फिर भले ही आप जहीन हो, स्मार्ट हो, टीचर्स की दुलारी हो आपका आरुषि होना ही आपके वजूद पर सवालिया निशान लगाने के लिए काफी है..
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