Monday, July 8, 2013

खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता

गुलजार साहब का भी जवाब नहीं.... पता नहीं ऐसे लफ्ज़ उन्हें सूझते कैसे हैं जो सीधे रूह में उतर जाते हैं और कई बार ऐसे लगता हैं जैसे आपके ही जज्बातों को जुबान दी गई हो.... इसी गीत को ले लीजिये... एक तो गुलजार साहब के शब्दों का ही जादू कम नहीं था ऊपर से पंचम दा का गजब का संगीत.... और फिर केक पर चेरी की तरह लता और सुरेश वाडकर की मखमली आवाज़.... इन चारो हस्तियों ने मिलकर क्या सौगात दी हैं संगीत प्रेमियों को....! जितनी बार भी सुन लो दिल ही नहीं भरता....

खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता
ना तुमने कहा होता, ना हमने सुना होता

दिल की बात ना पूछो, दिल तो आता रहेगा
दिल बहकाता रहा है, दिल बहकाता रहेगा
दिल को तुमने कुछ समझाया होता
खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता

सहमे से रहते है, जब यह दिन ढलता हैं
एक दिया बुझता है, एक दिया जलता है
तुमने कोइ दीप जलाया होता
खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता

कितने साहिल ढूंढे, कोइ ना सामने आया
जब मझधार में डूबे, साहिल थामने आया
तुमने साहिल पहले बिछाया होता
खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता
ना तुमने कहा होता, ना हमने सुना होता


वैसे ये पढने की नहीं सुनने की चीज हैं......
 

http://www.youtube.com/watch?v=gVvUsbsASWs


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