मुखौटा
हमेशा ही नहीं रहते सभी चेहरे नकाबों में, सभी किरदार खुलते है कहानी ख़त्म होने पर..!!!
Sunday, July 7, 2013
वही फूल नज्र-ए-खिजां हुआ जिसे ऐतबार-ए-बहार था
कोई आज तक ना बदल सका
ये उसूल गुलशन-ए-जीस्त का
वही फूल नज्र-ए-खिजां हुआ
जिसे ऐतबार-ए-बहार था...
-------------------- अज्ञात.
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment