मुखौटा
हमेशा ही नहीं रहते सभी चेहरे नकाबों में, सभी किरदार खुलते है कहानी ख़त्म होने पर..!!!
Saturday, April 6, 2013
इक बार मना लेते तो हर रोज़ खफा होता
इस बार वो रूठा तो चुप बैठे रहे हम भी
इक बार मना लेते तो हर रोज़ खफा होता....
-------- अज्ञात.
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