मुखौटा
हमेशा ही नहीं रहते सभी चेहरे नकाबों में, सभी किरदार खुलते है कहानी ख़त्म होने पर..!!!
Wednesday, April 17, 2013
हम चलते फिरते लोग मजारों से कम नहीं
अरमां तमाम उम्र के सीने में हैं दफ़न
हम चलते फिरते लोग मजारों से कम नहीं.....
----------- अज्ञात
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment