Tuesday, December 10, 2013

बेख्वाब सआअतों का का परस्तार कौन है

बेख्वाब सआअतों का का परस्तार कौन है ?
इतनी उदास रात में बेदार कौन है ?

सब कश्तियां जलाके चले साहिलों से हम,
अब तुम को क्या बताये के उस पार कौन है ?

ये फैसला तो शायद वक्त भी ना कर सके,
सच कौन बोलता है अदाकार कौन है ?

( और ये आखिरी शेर आज के दौर की राजनीति को समर्पित )

किसको है ये फ़िक्र के कबीले का क्या हुआ,
सब इस पे लड़ रहे है के सरदार कौन है ?

--------- अज्ञात.

3 comments:

  1. कुछ समझ में आया और कुछ नहीं ! अच्छा लगा। कठिन लफ्जो का सरल जुबान में अर्थ भी लिख दें, अच्छा रहेगा।

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  2. अभी तो सिर्फ परिंदे शुमार करना है यह फिर बताएँगे किसका शिकार करना है
    बहोत गुरूर है दरया तुझे रवानी पर हमें भी जिद है की दरिया को पार करना है

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    1. मेरे बीच रस्ते में, इक़ खौफनाक झरना है
      पाँव भी फिसलना है, औ पार भी उतरना है

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