बेख्वाब सआअतों का का परस्तार कौन है ?
इतनी उदास रात में बेदार कौन है ?
सब कश्तियां जलाके चले साहिलों से हम,
अब तुम को क्या बताये के उस पार कौन है ?
ये फैसला तो शायद वक्त भी ना कर सके,
सच कौन बोलता है अदाकार कौन है ?
( और ये आखिरी शेर आज के दौर की राजनीति को समर्पित )
किसको है ये फ़िक्र के कबीले का क्या हुआ,
सब इस पे लड़ रहे है के सरदार कौन है ?
--------- अज्ञात.
इतनी उदास रात में बेदार कौन है ?
सब कश्तियां जलाके चले साहिलों से हम,
अब तुम को क्या बताये के उस पार कौन है ?
ये फैसला तो शायद वक्त भी ना कर सके,
सच कौन बोलता है अदाकार कौन है ?
( और ये आखिरी शेर आज के दौर की राजनीति को समर्पित )
किसको है ये फ़िक्र के कबीले का क्या हुआ,
सब इस पे लड़ रहे है के सरदार कौन है ?
--------- अज्ञात.
कुछ समझ में आया और कुछ नहीं ! अच्छा लगा। कठिन लफ्जो का सरल जुबान में अर्थ भी लिख दें, अच्छा रहेगा।
ReplyDeleteअभी तो सिर्फ परिंदे शुमार करना है यह फिर बताएँगे किसका शिकार करना है
ReplyDeleteबहोत गुरूर है दरया तुझे रवानी पर हमें भी जिद है की दरिया को पार करना है
मेरे बीच रस्ते में, इक़ खौफनाक झरना है
Deleteपाँव भी फिसलना है, औ पार भी उतरना है