Sunday, May 26, 2013

मैं हवा हूं कहां वतन मेरा

""अब कहां हूं कहां नहीं हूं मैं
जिस जगह हूं वहां नहीं हूं मैं
कौन आवाज़ दे रहा हैं मुझे,
कोई कह दे के यहां नहीं हूँ मैं""


मैं हवा हूं कहां वतन मेरा...
दश्त मेरा ना ये चमन मेरा...

मैं के हर चंद एक खानानशीं
अंजुमन अंजुमन सुखन मेरा...

बर्ग-ए-गुल पर चराग सा क्या हैं
छू गया था उसे दहन मेरा...

"मैं के टूटा हुआ सितारा हूं
क्या बिगड़ेगी अंजुमन मेरा..."

हर घडी इक नया तकाजा हैं
दर्दे सर बन गया बदन मेरा...


https://www.youtube.com/watch?v=4ybaf6qgOaA

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