आपसे किसने कहा स्वर्णिम शिखर बनकर दिखो,
शौक दिखने का है तो फिर नींव के अंदर दिखो..
चल पड़ो तो गर्द बनकर आसमानों पर दिखो,
और अगर बैठो कहीं, तो मील का पत्थर दिखो...
सिर्फ़ दिखने के लिए दिखना कोई दिखना नहीं,
आदमी हो तुम अगर तो आदमी बनकर दिखो..
ज़िंदगी की शक्ल जिसमें टूटकर बिखरे नहीं,
पत्थरों के शहर में वो आईना बनकर दिखो..
आपको महसूस होगी तब हर इक दिल की जलन,
जब किसी धागे-सा जलकर मोम के भीतर दिखो...
एक ज़ुगनू ने कहा मैं भी तुम्हारे साथ हूँ,
वक़्त की इस धुंध में तुम रोशनी बनकर दिखो...
एक मर्यादा बनी है हम सभी के वास्ते,
गर तुम्हें बनना है मोती सीप के अंदर दिखो...
पंछी ! इनसे आ रही है, कातिलों की आहटें,
उडके इन पूजाघरों से अपनी शाख़ों पर दिखो...
कोई ऐसी शक्ल तो मुझको दिखे इस भीड़ में,
मैं जिसे देखूं उसी में तुम मुझे अक्सर दिखो..
ऐशगाहें चाहती हैं सब कुछ लुटा चुकने के बाद,
तुम किसी तंदूर में हंसते हुए जलकर दिखो...
---------------- अज्ञात.
शौक दिखने का है तो फिर नींव के अंदर दिखो..
चल पड़ो तो गर्द बनकर आसमानों पर दिखो,
और अगर बैठो कहीं, तो मील का पत्थर दिखो...
सिर्फ़ दिखने के लिए दिखना कोई दिखना नहीं,
आदमी हो तुम अगर तो आदमी बनकर दिखो..
ज़िंदगी की शक्ल जिसमें टूटकर बिखरे नहीं,
पत्थरों के शहर में वो आईना बनकर दिखो..
आपको महसूस होगी तब हर इक दिल की जलन,
जब किसी धागे-सा जलकर मोम के भीतर दिखो...
एक ज़ुगनू ने कहा मैं भी तुम्हारे साथ हूँ,
वक़्त की इस धुंध में तुम रोशनी बनकर दिखो...
एक मर्यादा बनी है हम सभी के वास्ते,
गर तुम्हें बनना है मोती सीप के अंदर दिखो...
पंछी ! इनसे आ रही है, कातिलों की आहटें,
उडके इन पूजाघरों से अपनी शाख़ों पर दिखो...
कोई ऐसी शक्ल तो मुझको दिखे इस भीड़ में,
मैं जिसे देखूं उसी में तुम मुझे अक्सर दिखो..
ऐशगाहें चाहती हैं सब कुछ लुटा चुकने के बाद,
तुम किसी तंदूर में हंसते हुए जलकर दिखो...
---------------- अज्ञात.
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