बड़े बुजुर्ग, यार, दोस्त, हितचिंतक सब सलाह देते हैं कि लोगों को परखना
सीखो. लोग वैसे कतई नहीं होते जैसा अपने आप को दिखाते हैं. ज्यादातर लोग
चेहरे पे नकाब लगाए होते हैं. खुद को सभ्य, सुसंस्कृत दर्शाने वाले लोग
हकीकत में भी वैसे ही हो ये जरुरी नहीं. इसलिए हर एक पर फ़ौरन भरोसा ना किया
करो.
मेरा फलसफा थोडा जुदा है. मैं हर शख्स के उस रूप को निसंकोच कबूल कर लेती हूँ जो वो दिखा रहा होता है. दो वजुहात है इसके पीछे. एक तो ये कि वर्चुअल वर्ल्ड में किसी को सही सही परखना असंभव सा कार्य है. दूसरी और ख़ास वजह ये कि मैं समझती हूँ जो शख्स खुद को नेक सीरत, सभ्य और संस्कारी दिखाने के लिए इतना लालायित है वो इन मूल्यों में कहीं न कही विश्वास जरुर करता होगा. उसके अन्दर कहीं न कहीं ये भावना जरुर होगी कि अच्छा इंसान बनना बेहद जरुरी है. और यही भावना आगे चल कर उसका और पतन होने से रोकेगी भी. हालांकि ये फलसफा और फलसफों की तरह ही हर एक पर नहीं लागू किया जा सकता. लेकिन मुझे तो फायदा देता है.
सामाजिक जीवन जीने के दो तरीके हैं. या तो हर एक पर विश्वास करो या हर एक पर शक. सब पर शक करने से, करते रहने से ज़िन्दगी को जहन्नुम होते देर नहीं लगेगी. सब पर विश्वास कर लेने से भले ही कुछ अप्रिय अनुभव हो लेकिन अंत पन्त मामला सुकून भरा ही रहता है.
मैं तब तक किसी पर अविश्वास नहीं करती जब तक कोई मेरा विश्वास तोड़ ना दे.
अजीब फलसफा है लेकिन है तो अपना..
मेरा फलसफा थोडा जुदा है. मैं हर शख्स के उस रूप को निसंकोच कबूल कर लेती हूँ जो वो दिखा रहा होता है. दो वजुहात है इसके पीछे. एक तो ये कि वर्चुअल वर्ल्ड में किसी को सही सही परखना असंभव सा कार्य है. दूसरी और ख़ास वजह ये कि मैं समझती हूँ जो शख्स खुद को नेक सीरत, सभ्य और संस्कारी दिखाने के लिए इतना लालायित है वो इन मूल्यों में कहीं न कही विश्वास जरुर करता होगा. उसके अन्दर कहीं न कहीं ये भावना जरुर होगी कि अच्छा इंसान बनना बेहद जरुरी है. और यही भावना आगे चल कर उसका और पतन होने से रोकेगी भी. हालांकि ये फलसफा और फलसफों की तरह ही हर एक पर नहीं लागू किया जा सकता. लेकिन मुझे तो फायदा देता है.
सामाजिक जीवन जीने के दो तरीके हैं. या तो हर एक पर विश्वास करो या हर एक पर शक. सब पर शक करने से, करते रहने से ज़िन्दगी को जहन्नुम होते देर नहीं लगेगी. सब पर विश्वास कर लेने से भले ही कुछ अप्रिय अनुभव हो लेकिन अंत पन्त मामला सुकून भरा ही रहता है.
मैं तब तक किसी पर अविश्वास नहीं करती जब तक कोई मेरा विश्वास तोड़ ना दे.
अजीब फलसफा है लेकिन है तो अपना..
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