कुछ लेखकों का लिखा मुझे बेहद पसंद आता है लेकिन एक व्यक्ति के तौर पर जो कुछ उन के बारे में पढ़ा उस से वो लोग मुझे कुछ ख़ास पसंद नहीं आये.
कुछ लेखकों के बारे में संस्मरण पढ़े तो उस से वो लोग एक बेहतरीन इंसान साबित हुए लेकिन उन का लिखा मुझे कुछ ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाया.
इस पूरी कायनात में सिर्फ और सिर्फ एक ही लेखक है जो एक साथ दोनों कसौटियों पर खरे उतरते नज़र आते हैं. और वो हैं श्री. चेतन भगत जी.
मुझे ना तो ये बंदा ही पसंद आया और ना ही इसका लिखा हुआ. न जाने लोग कैसे झेल लेते हैं साहब को.. अंग्रेजियत का रुतबा है शायद....
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