अब दिल भी चाहता है उसके खिलाफ होना
मुमकिन नहीं रहा कसूर उसका माफ़ होना
फ़रिश्ता न बन पाते, कोई बात नहीं थी
क्या इतना ही मुश्किल था दिल का साफ़ होना.
इस दौर में दुश्मनी को, बस इतनी वजह है काफी,
किसी से दिल ना मिलना, किसी से इख्तेलाफ होना...
------ ज़ारा.
मुमकिन नहीं रहा कसूर उसका माफ़ होना
फ़रिश्ता न बन पाते, कोई बात नहीं थी
क्या इतना ही मुश्किल था दिल का साफ़ होना.
इस दौर में दुश्मनी को, बस इतनी वजह है काफी,
किसी से दिल ना मिलना, किसी से इख्तेलाफ होना...
------ ज़ारा.
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