उनका जो काम हैं, वो अहले सियासत जाने...
मेरा पैगाम मुहब्बत हैं जहां तक पहुंचे...
--------------जिगर मुरादाबादी.
भारत-पाक बंटवारा..... पिछली सदी की सबसे भयानक घटना... धरती के इतिहास का शायद सबसे बड़ा विस्थापन.... जिसकी वजह से लाखों लोगों को अपना सब कुछ खोना पड़ा... अपना घर-बार, अपना गांव, अपने यार-दोस्त, समाजी रिश्ते एक झटके में तोड़कर किसी अनजान जगह कूच कर जाने का फरमान जिन्हें मिला होगा उन पर क्या बीती होगी ये तो वही जाने.. मेरी तो सोचकर ही रूह कांप जाती हैं....
इस बंटवारे का अगर सबसे बड़ा नुकसान कोई हुआ तो वो ये की एक ही नस्ल के, एक ही रंग के, एक ही सभ्यता के, एक ही सांझी विरासत के लोग एक दूसरे के दुश्मन कहलाये जाने लगे... बावजूद दिलों में मौजूद मुहब्बत के अवशेषों के... भाषाएं भी बंट गई... उर्दू पर पाकिस्तानी ( मुस्लिम ) होने का ठप्पा लग गया तो हिंदी भारत की पहचान बन गई... उस दिन पैदा हुई नफरत की चिंगारी आज इतनी बड़ी आग बन चुकी हैं की हमारी सारी तवज्जों सिर्फ और सिर्फ पडोसी मुल्क से रक्षा पर लगी हुई हैं.. उस मुल्क से जो कभी हमारे ही शरीर का हिस्सा हुआ करता था... आज पाकिस्तानी कहा जाना गाली जैसा हो गया... और ऐसे ही हालात पकिस्तान में भी होंगे... ना जाने ये जहर हमारी रगों में इतना गहरा कैसे और कब उतर गया की अब हमारे बातचीत के तरीके भी जहरीले हो गए... हुक्मरानों की, सियासतदानों की मतलबपरस्ती का दंश दोनों देशों की जनता पिछले 66 सालों से झेल रही हैं... और ना जाने कब तक झेलने के लिए अभिशप्त हैं...
आज और कल पड़ने वाले दो देशों के स्वतंत्रता दिवस पर हम और आप मिलकर कुछ पलों की श्रद्धांजलि उन लोगों को अर्पित करते हैं जिन्होंने 1947 की त्रासदी को जिया और जिसके ज़ख्म उनकी आने वाली कई पीढ़ियों के सीने पर मौजूद हैं...
इस त्रासदी की भयावहता जानने के लिए कृपया इस ब्लॉग पर नज़र डालिए... पर इसे तभी देखिएगा जब आपका कलेजा मजबूत हो.....
http://comic-guy.blogspot.in/2011/01/biggest-mistake.html
मेरा पैगाम मुहब्बत हैं जहां तक पहुंचे...
--------------जिगर मुरादाबादी.
भारत-पाक बंटवारा..... पिछली सदी की सबसे भयानक घटना... धरती के इतिहास का शायद सबसे बड़ा विस्थापन.... जिसकी वजह से लाखों लोगों को अपना सब कुछ खोना पड़ा... अपना घर-बार, अपना गांव, अपने यार-दोस्त, समाजी रिश्ते एक झटके में तोड़कर किसी अनजान जगह कूच कर जाने का फरमान जिन्हें मिला होगा उन पर क्या बीती होगी ये तो वही जाने.. मेरी तो सोचकर ही रूह कांप जाती हैं....
इस बंटवारे का अगर सबसे बड़ा नुकसान कोई हुआ तो वो ये की एक ही नस्ल के, एक ही रंग के, एक ही सभ्यता के, एक ही सांझी विरासत के लोग एक दूसरे के दुश्मन कहलाये जाने लगे... बावजूद दिलों में मौजूद मुहब्बत के अवशेषों के... भाषाएं भी बंट गई... उर्दू पर पाकिस्तानी ( मुस्लिम ) होने का ठप्पा लग गया तो हिंदी भारत की पहचान बन गई... उस दिन पैदा हुई नफरत की चिंगारी आज इतनी बड़ी आग बन चुकी हैं की हमारी सारी तवज्जों सिर्फ और सिर्फ पडोसी मुल्क से रक्षा पर लगी हुई हैं.. उस मुल्क से जो कभी हमारे ही शरीर का हिस्सा हुआ करता था... आज पाकिस्तानी कहा जाना गाली जैसा हो गया... और ऐसे ही हालात पकिस्तान में भी होंगे... ना जाने ये जहर हमारी रगों में इतना गहरा कैसे और कब उतर गया की अब हमारे बातचीत के तरीके भी जहरीले हो गए... हुक्मरानों की, सियासतदानों की मतलबपरस्ती का दंश दोनों देशों की जनता पिछले 66 सालों से झेल रही हैं... और ना जाने कब तक झेलने के लिए अभिशप्त हैं...
आज और कल पड़ने वाले दो देशों के स्वतंत्रता दिवस पर हम और आप मिलकर कुछ पलों की श्रद्धांजलि उन लोगों को अर्पित करते हैं जिन्होंने 1947 की त्रासदी को जिया और जिसके ज़ख्म उनकी आने वाली कई पीढ़ियों के सीने पर मौजूद हैं...
इस त्रासदी की भयावहता जानने के लिए कृपया इस ब्लॉग पर नज़र डालिए... पर इसे तभी देखिएगा जब आपका कलेजा मजबूत हो.....
http://comic-guy.blogspot.in/2011/01/biggest-mistake.html
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