Monday, March 17, 2014

मुर्शिद खेले होली

होली मुबारक हो सबको...!!!
होली के तोहफे के तौर पर एक नायाब सूफियाना कलाम पेशे-खिदमत है. रूहानी गीत है इसलिए इत्मीनान से सुनने का. ये ना हो कि बैकग्राउंड में बज रहा है और आप किसी से चैट बॉक्स में बतिया रहे हो.. अपने बीजी शेड्यूल में से सात मिनट इकतालीस सेकंड निकालकर जरुर सुनिए. जरुर पसंद आएगा आप लोगों को. ना पसंद आने का सवाल ही नहीं.
मुझे हैरानी है कि ऐसा बेहतरीन गीत लोगों की नोटिस में आने से कैसे बचा रह गया ? जावेद अली, मुनव्वर मासूम और शंकर महादेवन की बेहतरीन जुगलबंदी गौर करने लायक है. मेरी तरफ से इस गीत को 100 में से 110 नंबर.
"मेरा मुर्शिद खेले होली..."

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