तसकीन ना हो जिससे वो राज़ बदल डालो
जो राज़ ना रख पाये व हमराज़ बदल डालो
तुमने भी सुनी होगी बहुत आम कहावत है
अंजाम का हो गर खतरा आगाज़ बदल डालो
पुरसोज़ दिलों को जो मुस्कान न दे पाये
सुर ही ना मिले जिसमे वो साज़ बदल डालो
दुश्मन के इरादों को ज़ाहिर है अगर करना
तुम खेल वही खेलो अंदाज़ बदल डालो
ऐ दोस्त करो हिम्मत कुछ दूर सवेरा है
गर चाहते हो मंजिल परवाज़ बदल डालो
------------- अल्लामा इकबाल.
जो राज़ ना रख पाये व हमराज़ बदल डालो
तुमने भी सुनी होगी बहुत आम कहावत है
अंजाम का हो गर खतरा आगाज़ बदल डालो
पुरसोज़ दिलों को जो मुस्कान न दे पाये
सुर ही ना मिले जिसमे वो साज़ बदल डालो
दुश्मन के इरादों को ज़ाहिर है अगर करना
तुम खेल वही खेलो अंदाज़ बदल डालो
ऐ दोस्त करो हिम्मत कुछ दूर सवेरा है
गर चाहते हो मंजिल परवाज़ बदल डालो
------------- अल्लामा इकबाल.
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