सवा
सौ साल पुरानी पार्टी को उसके गढ़ में धुल चटाकर आम आदमी पार्टी ने साबित कर
दिया कि अगर विकल्प हो तो जनता उसे अपनाने में नहीं हिचकेगी. ये भारतीय
राजनीति में निस्संदेह एक नई शुरुआत है. ये सही मायनों में और कई पैमानों
पर लोकतंत्र की जीत है. ये एक सबक है दो प्रमुख पार्टियों के लिए कि वो
जनता को ग्रांटेड लेना छोड़ दे. जब भी, जहां भी मौका मिलेगा लोग उन्हें उखाड़
फेकेंगे. काश ऐसे विकल्प सारे भारत में उपलब्ध हो जाए.
खैर, फिलहाल आम आदमी पार्टी और दिल्लीवालों को बधाई...
p.s. मुझे नहीं पता था की मेरी तुच्छ सी अपील को इतना सीरियसली लिया जाएगा. शुक्र है मेरे एक मित्र के कहे अनुसार मुझे 'शर्मिंदा' नहीं होना पड़ा.
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हम भाग्यशाली है की भारत जैसे देश में रहते है. जहां हम अपने रहनुमा बेबाकी से चुन सकते है. चुनाव धांधली, प्रलोभन, जातीय समीकरण आदि आदि मुद्दों के होने बावजूद भी अगर देश का प्रबुद्ध माना जाने वाला तबका एक साल भर पुरानी पार्टी को दिल खोल के वोट करता है तो ये शुभ संकेत है. और मैं फिर दोहराती हूँ कि लोकतंत्र की जीत है.
सरकार बनाने की पोजीशन में होने के बावजूद भी ये लोग कह रहे है की हम जनमत का सम्मान करेंगे. ये अच्छी शुरुआत तो यकीनन है. बाकी जो आपकी शंकाएं हैं वो सही भी हो सकती है पर ये अगर मगर की बातें है. ये सब हम इन्हें परखने के बाद कहें तो बेहतर. वैसे भी अगर ये नहीं तो कौन वाला सवाल भी है ही.
रहा सवाल मोदी का तो उसके बारे में सर धुनने का क्या फायदा..? जो खिलाफ है वो रहेंगे ही. जो समर्थक है वो तो हैं ही. जो होगा सामने आ जाएगा. कल के चुनावों से मेरा भरोसा बढ़ा है लोगों में.
खैर, फिलहाल आम आदमी पार्टी और दिल्लीवालों को बधाई...
p.s. मुझे नहीं पता था की मेरी तुच्छ सी अपील को इतना सीरियसली लिया जाएगा. शुक्र है मेरे एक मित्र के कहे अनुसार मुझे 'शर्मिंदा' नहीं होना पड़ा.
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हम भाग्यशाली है की भारत जैसे देश में रहते है. जहां हम अपने रहनुमा बेबाकी से चुन सकते है. चुनाव धांधली, प्रलोभन, जातीय समीकरण आदि आदि मुद्दों के होने बावजूद भी अगर देश का प्रबुद्ध माना जाने वाला तबका एक साल भर पुरानी पार्टी को दिल खोल के वोट करता है तो ये शुभ संकेत है. और मैं फिर दोहराती हूँ कि लोकतंत्र की जीत है.
सरकार बनाने की पोजीशन में होने के बावजूद भी ये लोग कह रहे है की हम जनमत का सम्मान करेंगे. ये अच्छी शुरुआत तो यकीनन है. बाकी जो आपकी शंकाएं हैं वो सही भी हो सकती है पर ये अगर मगर की बातें है. ये सब हम इन्हें परखने के बाद कहें तो बेहतर. वैसे भी अगर ये नहीं तो कौन वाला सवाल भी है ही.
रहा सवाल मोदी का तो उसके बारे में सर धुनने का क्या फायदा..? जो खिलाफ है वो रहेंगे ही. जो समर्थक है वो तो हैं ही. जो होगा सामने आ जाएगा. कल के चुनावों से मेरा भरोसा बढ़ा है लोगों में.
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