मुखौटा
हमेशा ही नहीं रहते सभी चेहरे नकाबों में, सभी किरदार खुलते है कहानी ख़त्म होने पर..!!!
Saturday, November 23, 2013
मेरा पैगाम मुहब्बत है जहां तक पहुंचे
आज एक बार फिर जिगर मुरादाबादी के इन शब्दों में पनाह तलाशनी पड़ रही है...
"उनका जो काम है वो अहले सियासत जाने,
मेरा पैगाम मुहब्बत है जहां तक पहुंचे.."
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