इतनी
शिद्दत से इंतज़ार तो मुझे अपने दूल्हे का भी नहीं जितनी शिद्दत से मुझे
2014 का इन्तजार है.... आ के ही नहीं दे रहा कमबख्त.... आ जाए तो फेसबूकिया
बुद्धिजीवियों से कुछ राहत मिले.... आ भी जाओ दुष्ट.... वरना फेसबुक पर
नेट वीरों की अकल के टूटते तारे देख देख कर मैं पागल हो जाउंगी....
अपने सीने में तो नफरत को बहा रखते है...
जाने ये लोग मुहब्बत को कहां रखते है.....
अपने सीने में तो नफरत को बहा रखते है...
जाने ये लोग मुहब्बत को कहां रखते है.....
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