मेरे मौला...
आज जरा इस तपते दिन को..
ठंडा कर दे...
छोटा कर दे...
इसे घटा दे...
बादल के टुकडे से कहकर...
बारिश कर दे...
बूँदे आये...
हवा चले...
और सूरज गुजरे जल्दी से...
शाम आ जाये...
मेरे मालिक...!!!
आज भी उसने मेरी खातिर...
मुझे पाने कि चाहत मे...
तेरा रोजा रखा है...!!!
-----------------अज्ञात.
आज जरा इस तपते दिन को..
ठंडा कर दे...
छोटा कर दे...
इसे घटा दे...
बादल के टुकडे से कहकर...
बारिश कर दे...
बूँदे आये...
हवा चले...
और सूरज गुजरे जल्दी से...
शाम आ जाये...
मेरे मालिक...!!!
आज भी उसने मेरी खातिर...
मुझे पाने कि चाहत मे...
तेरा रोजा रखा है...!!!
-----------------अज्ञात.
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