सभी भाइयों को रमजान मुबारक...!!!
ख़ास तौर से उन्हें जिन्होंने फलों की दुकानों पर महीने भर के एडवांस पैसे जमा कर दिए हैं, जिन्होंने सूखे मेवे और सिवईयों की खरीदारी कर ली हैं, दूध वाले को बोल दिया हैं एक्स्ट्रा दूध के लिये, नमाज की खातिर नए कुरते पाजामे और कॉटन के दुपट्टों को खरीद लाये हैं, साल भर से धूल खा रही मजहबी किताबों को झाड-पोंछ कर करीने से सजा दिया हैं और जो जन्नत का टिकट पाने के लिए कमर कसकर इबादत के मैदान में कूद पड़े हैं....
आप सभी को रमजान मुबारक......!!!
"उसके बारे में किसने सोचा हैं....
जिसका मगरिब के बाद भी रोजा हैं.."
ख़ास तौर से उन्हें जिन्होंने फलों की दुकानों पर महीने भर के एडवांस पैसे जमा कर दिए हैं, जिन्होंने सूखे मेवे और सिवईयों की खरीदारी कर ली हैं, दूध वाले को बोल दिया हैं एक्स्ट्रा दूध के लिये, नमाज की खातिर नए कुरते पाजामे और कॉटन के दुपट्टों को खरीद लाये हैं, साल भर से धूल खा रही मजहबी किताबों को झाड-पोंछ कर करीने से सजा दिया हैं और जो जन्नत का टिकट पाने के लिए कमर कसकर इबादत के मैदान में कूद पड़े हैं....
आप सभी को रमजान मुबारक......!!!
"उसके बारे में किसने सोचा हैं....
जिसका मगरिब के बाद भी रोजा हैं.."
No comments:
Post a Comment