Sunday, December 7, 2014

हम हार गए

जब अपनी हदों से पार गये, हम हार गये..
सब लफ्ज़ यूँ ही बेकार गये, हम हार गये..


इक उम्र लगी थी जिन को चुन कर लाने में,
इक पल में सारे यार गये, हम हार गये..


वो बीच में आ कर डूब गये और जीत गये,
हम आग का दरिया पार गये, हम हार गये..


कुछ ख्वाब बशारत लौट के हम से रूठ गये,
कुछ लोग हमें धुत्कार गये, हम हार गये..



रुसवाई की ये रस्म हमीं से निकली है,
उस नगरी में हर बार गये, हम हार गये..


जग जीत गया ये बात तो है तस्लीम हमें,
हम हार गये, हम हार गये, हम हार गये..

------------ अज्ञात.

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