हमेशा ही नहीं रहते सभी चेहरे नकाबों में,
सभी किरदार खुलते है कहानी ख़त्म होने पर..!!!
Wednesday, November 19, 2014
सबक
ये सबक मैंने बहुत पहले सीख लिया था कि अंत-पन्त इंसान की अपनी
अच्छाई-बुराई ही उसके व्यक्तित्व को डिफाइन करती है ना कि उसकी वैचारिक
प्रतिबद्धता... फिर भले ही वो किसी भी विचारधारा का फ्लैग बियरर हो...
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