चंद सतरों में उम्र भर की मुसाफिरी का खाका खींचने वाले इस अनाम शायर को सलाम......!!!!
आलम-ए-मुहब्बत में
इक कमाल वहशत में
बे सबब रफाकत का,
दुःख उठाना पड़ता है
तितलियां पकड़ने को,
दूर जाना पड़ता है.....!!!
इक कमाल वहशत में
बे सबब रफाकत का,
दुःख उठाना पड़ता है
तितलियां पकड़ने को,
दूर जाना पड़ता है.....!!!
बहुत दूर जाना पड़ता है...!!!
-------- अज्ञात.
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