हासिल-ए-कुन है ये जहान-ए-खराब
यही मुमकिन था इतनी उजलत में...
-------- जॉन एलिया.
( व्याख्या : कुन - हो जा ( ये लफ्ज़ कुरान के कुन-फ़ाया-कुन से है जो कहता है के ख़ुदा ने कहा कुन ( हो जा ) और सृष्टि का निर्माण हुआ.
उजलत - जल्दबाजी
जॉन साहब फरमाते हैं के ये जो दुनिया इतनी संगदिल ख़राब है, ये एक लफ्ज़ "कुन" का नतीज़ा है. जिसे कहने में ख़ुदा को कोई वक़्त नहीं लगा होगा लेकिन इस जल्दबाज़ी का नतीज़ा आज हम लोग भुगत रहे है. ऐसी जल्दी में बनी दुनिया से कोई क्या उम्मीद रख सकता है ?
यही मुमकिन था इतनी उजलत में...
-------- जॉन एलिया.
( व्याख्या : कुन - हो जा ( ये लफ्ज़ कुरान के कुन-फ़ाया-कुन से है जो कहता है के ख़ुदा ने कहा कुन ( हो जा ) और सृष्टि का निर्माण हुआ.
उजलत - जल्दबाजी
जॉन साहब फरमाते हैं के ये जो दुनिया इतनी संगदिल ख़राब है, ये एक लफ्ज़ "कुन" का नतीज़ा है. जिसे कहने में ख़ुदा को कोई वक़्त नहीं लगा होगा लेकिन इस जल्दबाज़ी का नतीज़ा आज हम लोग भुगत रहे है. ऐसी जल्दी में बनी दुनिया से कोई क्या उम्मीद रख सकता है ?
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