सब इस गुमान में है के गरदन तनी रहे
कोई तो ये सोचे के बात बनी रहे
हो इख्तेलाफ लाख मगर ध्यान में रहे,
लफ़्ज़ों में तेरे थोड़ी बहुत चाशनी रहे
ये दौर तमाशे का चाहे है मुसलसल,
हर वक्त फिजा में फैली सनसनी रहे
तू अपने परखने का पैमाना बदल के देख,
वो दोस्त भी हो सकता है जिससे ठनी रहे
------ ज़ारा.
17/01/2014.
कोई तो ये सोचे के बात बनी रहे
हो इख्तेलाफ लाख मगर ध्यान में रहे,
लफ़्ज़ों में तेरे थोड़ी बहुत चाशनी रहे
ये दौर तमाशे का चाहे है मुसलसल,
हर वक्त फिजा में फैली सनसनी रहे
तू अपने परखने का पैमाना बदल के देख,
वो दोस्त भी हो सकता है जिससे ठनी रहे
------ ज़ारा.
17/01/2014.
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