जरा सी देर को आये थे ख्वाब आँखों में
फिर उसके बाद मुसलसल अजाब आँखों में
वो जिसकी निसबत से रौशन था सारा वजूद,
खटक रहा है वही आफताब आँखों में...
--------- अज्ञात.
फिर उसके बाद मुसलसल अजाब आँखों में
वो जिसकी निसबत से रौशन था सारा वजूद,
खटक रहा है वही आफताब आँखों में...
--------- अज्ञात.
ब्लॉग वर्ल्ड में आपका स्वागत है ज़ारा जी
ReplyDeleteवाह ! कहने और सुनने की इंतहा है ये शेर !!!
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