कुछ गीत दिल से कभी जुदा नहीं होते... ऐसे ही
चुनिन्दा गीतों में से एक गीत ये भी है.... गुलजार साहब के जादुई बोल जो
सीधे दिल में उतर जाते है और आंसूओं का स्विच ऑन कर देते है.... हृदयनाथ
मंगेशकर जी का बेजोड़ संगीत.... और उसपर लता की मखमली आवाज़..... किलर कॉम्बिनेशन......
https://www.youtube.com/watch?v=OGxGpqnr4AA
बोल कुछ यूं है.....
मेरे सरहाने जलाओ सपने
मुझे जरा सी तो नींद आये....
ख़याल चलते हैं आगे आगे,
मैं उन की छांव में चल रही हूं....
न जाने किस मोम से बनी हूं,
जो कतरा कतरा पिघल रही हूं...
मैं सहमी रहती हूं नींद में भी
कही कोई ख्वाब डस ना जाये.....
कभी बुलाता हैं कोई साया,
कभी उड़ाती हैं धूल कोई..
मैं एक भटकी हुई सी खुशबू,
तलाश करती हूं फूल कोई...
ज़रा किसी शाख पर तो बैठू
ज़रा तो मुझ को हवा झुलाये....
मेरे सरहाने जलाओ सपनें
मुझे जरा सी तो नींद आये......
https://www.youtube.com/watch?v=OGxGpqnr4AA
बोल कुछ यूं है.....
मेरे सरहाने जलाओ सपने
मुझे जरा सी तो नींद आये....
ख़याल चलते हैं आगे आगे,
मैं उन की छांव में चल रही हूं....
न जाने किस मोम से बनी हूं,
जो कतरा कतरा पिघल रही हूं...
मैं सहमी रहती हूं नींद में भी
कही कोई ख्वाब डस ना जाये.....
कभी बुलाता हैं कोई साया,
कभी उड़ाती हैं धूल कोई..
मैं एक भटकी हुई सी खुशबू,
तलाश करती हूं फूल कोई...
ज़रा किसी शाख पर तो बैठू
ज़रा तो मुझ को हवा झुलाये....
मेरे सरहाने जलाओ सपनें
मुझे जरा सी तो नींद आये......
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