Sunday, July 7, 2013

वही फूल नज्र-ए-खिजां हुआ जिसे ऐतबार-ए-बहार था

कोई आज तक ना बदल सका
ये उसूल गुलशन-ए-जीस्त का
वही फूल नज्र-ए-खिजां हुआ
जिसे ऐतबार-ए-बहार था...

-------------------- अज्ञात.

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