कभी सब्र की नसीहत, कभी शुक्र का बहाना
मेरे आंसूओं की कीमत ना चुका सका ज़माना..
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पलकों के बंद तोड़ के दामन पे आ गिरा...
एक आंसू मेरे ज़ब्त की तौहीन कर गया...
मेरे आंसूओं की कीमत ना चुका सका ज़माना..
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पलकों के बंद तोड़ के दामन पे आ गिरा...
एक आंसू मेरे ज़ब्त की तौहीन कर गया...
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