मुखौटा
हमेशा ही नहीं रहते सभी चेहरे नकाबों में, सभी किरदार खुलते है कहानी ख़त्म होने पर..!!!
Friday, May 24, 2013
दर्द का हद से गुजरना हैं दवा हो जाना
इशरत-ए-कतरा हैं दरिया में फना हो जाना
दर्द का हद से गुजरना हैं दवा हो जाना
--------------- मिर्ज़ा असदुल्ला खां ग़ालिब.
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