मुहब्बतों में हर एक लम्हा विसाल होगा ये तय हुआ था
बिछड़के भी एक दूसरे का ख़याल होगा ये तय हुआ था
जुदा जो हुए तो क्या हुआ फिर, के यही दस्तूरे ज़िन्दगी है
जुदाइयों में ना कुर्बतों का मलाल होगा ये तय हुआ था
ये क्या के साँसे उखड रही है, सफ़र के आगाज़ में ही यारा
कोई भी थक के ना रास्तों में निढाल होगा ये तय हुआ था
वही हुआ ना बदलते मौसम में तुमने खुद को ज़ख्म दिए
कोई भी रुत हो ना चाहतों का जवाल होगा ये तय हुआ था
चलो के अब कश्तियां जला दे, इन गुमनाम साहिलों पर
के अब यहाँ से ना वापसी का सवाल होगा ये तय हुआ था.
बिछड़के भी एक दूसरे का ख़याल होगा ये तय हुआ था
जुदा जो हुए तो क्या हुआ फिर, के यही दस्तूरे ज़िन्दगी है
जुदाइयों में ना कुर्बतों का मलाल होगा ये तय हुआ था
ये क्या के साँसे उखड रही है, सफ़र के आगाज़ में ही यारा
कोई भी थक के ना रास्तों में निढाल होगा ये तय हुआ था
वही हुआ ना बदलते मौसम में तुमने खुद को ज़ख्म दिए
कोई भी रुत हो ना चाहतों का जवाल होगा ये तय हुआ था
चलो के अब कश्तियां जला दे, इन गुमनाम साहिलों पर
के अब यहाँ से ना वापसी का सवाल होगा ये तय हुआ था.
No comments:
Post a Comment