मुखौटा
हमेशा ही नहीं रहते सभी चेहरे नकाबों में, सभी किरदार खुलते है कहानी ख़त्म होने पर..!!!
Friday, April 19, 2013
सूत ना कपास, जुलाहों में लट्ठम लट्ठ
आज कल भाजपा में प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर जिस तरह से उठापठक चल रही हैं, उससे एक पुरानी कहावत याद आ गई....
"सूत ना कपास, जुलाहों में लट्ठम लट्ठ..!!!"
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