Tuesday, October 28, 2014

उदयन

मशाल :- अंधेरी राहों में भटकन से निजात दिला कर सही रास्ता दिखाने के काम आने वाली चीज़. अधेरे से लड़ने और जीतने के लिए जरुरी अविष्कार. लेकिन यही मशाल अगर किसी सरफिरे के हाथ लग जाए तो वो बस्तियां भी जला सकता है. यानी मशाल उपयोगी सिद्ध होगी या विध्वंसक ये उसे थामने वाले की नीयत पर डिपेंड करता है.

हथियार :- आत्मरक्षा के इरादे से बनाई गई वो चीज़ जो इंसान को अपने जान माल की हिफाज़त में बहुत सहायक सिद्ध होती आई है. लेकिन इन हथियारों का बेजा इस्तेमाल करने की अंधी होड़ मानव सभ्यता के अस्तित्व के लिए ही खतरा बन गई. कुल मिलाकर फिर वही बात कि किसी चीज़ का इस्तेमाल करने के पीछे की नीयत ही उसकी प्रासंगिकता डिफाइन करती है.

भाषा :- एक दूसरे से संवाद साधने के, अपनी बात दूसरे तक पहुंचाने के काम आने वाला प्रभावी माध्यम. प्रेम भरे कुछ शब्द किसी भी व्यक्ति को अपनी तरफ खींचने में बेहद सहायक होते हैं. वहीँ भाषा का घटियापन, निम्न स्तर की शब्दावली आपसे लोगों को दूर ही ले जाती है. भाषा का दूषित होना एक व्यक्तित्व और समाज दोनों के लिए ही हानिकारक है. यहाँ भी व्यक्ति की नीयत का पूरा पूरा दखल है.

और.... और अब फेसबुक जैसा क्रांतिकारी टूल...

अक्सर देखा गया है कि इस शानदार और सहज उपलब्ध मंच को लोग अपनी निजी कुंठाएं निकालने का माध्यम बनाएं रहते हैं. तोड़ने वाली, इंसान को इंसान से अलग बताने वाली, विघटनकारी बातों का बहुत बड़े पैमाने पर बोलबाला है इस मंच पर. फेसबुक पर हासिल लोगों तक तत्काल बात पहुंचाने की सुविधा का ज्यादातर दुरूपयोग ही होते देखा है मैंने. ( 'ज्यादातर' पर जोर है, सिर्फ ऐसा ही है ये नहीं कहना मुझे ) शायद लोगों को नकारात्मक बातें ज्यादा अपील करती है तो ऐसी बातों का अम्बार लगा हुआ है फेसबुक पर. कई बार बेहद निराशा हुआ करती है भारतीय जनमानस की ये हालत देखकर. लेकिन फिर कभी कभी कुछ ऐसा भी मिल जाता है जिससे अच्छाई पर से उठ रहा भरोसा जोर शोर से कायम हो जाता है. फेसबुक को बन्दर के हाथ लग चुकी मशाल तसलीम करते करते अचानक कोई रौशनी दिलो-दिमाग को रौशन कर देती है और नेकनीयती की अहमियत वाली बात रह रह कर दिमाग में गर्दिश करने लगती है. इस फेसबुक ने कुछ ऐसी शानदार चीजें भी दी है जिसके लिए इसका पूरी श्रद्धा से शुक्रगुजार होने को मन करता है.

जैसे कि "उदयन".

'उदयन' वो मशाल है जिससे आजकल सारा फेसबुक जगमगा रहा है. एक दूसरे के धुर विरोधी लोग भी उदयन की मुक्त कंठ से तारीफ़ कर रहे हैं. इस को कामयाब बनाने में बढ़ चढ़ के अपना योगदान दे रहे हैं. उदयन नाम है समाज के सब से निचले तबके के बच्चों को सम्मान की ज़िन्दगी दिलाने की नायाब कोशिश का. उदयन जज्बा है उन बच्चों की आँखों में सपने भरने का और फिर उन्हें पूरा करने के निरंतर प्रयास करने का. उदयन फेसबुक से हासिल उन नायाब नगिनों में से है जिसके लिए इससे जुड़े हर एक शख्स को गले लगाने का मन करता है. बातों की फसल टनों की मात्रा में काटने वाले फेसबुक से ही ऐसा एक उपक्रम बाहर निकल के आना जो हकीकत की जमीन पर उम्दा काम करने लग गया हो सोशल मीडिया की उपयोगिता पर लगे प्रश्नचिन्हों से कुछ हद तक निजात दिलाता है. बेहद बेहद बेहद शानदार पहल है 'उदयन'.

मुसहर बस्ती के बच्चों के लिए छत, खाना-पीना, कपडे, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने का बीड़ा उठाया है उदयन ने. इसके लिए आवश्यक चीजें जुटाने में फेसबूकिया समाज जिस तरह से आगे आ रहा है वो अचंभित कराने वाला है. अजित सिंह जी के अथक प्रयासों द्वारा सपने से हकीकत तक का सफ़र पूरा करने वाला उदयन ऋणी है उस हर एक शख्स का जिसने इसे कामयाब बनाने में हिस्सा लिया. भारत के कोने कोने से इन बच्चों को मदद पहुंचाने के लिए हाथ खड़े हो रहे हैं. कोई चीज़ें भेज रहा है, कोई पैसे भेज रहा है, कोई कापी-किताबें तो कोई अपने जीवन का बहुमूल्य समय इन बच्चों को पढ़ाने में खर्च करने के लिए सहर्ष तैयार है.
उम्मीद है ये महा-दुष्कर कार्य इसी जोशो-जूनून से आगे बढ़ता रहेगा. सदियों से छले हुए इन लोगों को सपने तो बहुत दिखाए गए हैं लेकिन टिका कोई नहीं. उदयन टिके, जमा रहे ये शुभकामना. और हर उस शख्स का दिल से आभार जो इस पहल का हिस्सा है. जिसने अपना योगदान देकर इसे मूर्त रूप में आने में मदद की. अजित सिंह जी की तारीफ़ जितनी की जाए कम है. उन्होंने अपना ओढना-बिछाना सब उदयन को बना लिया है. और जब किसी कार्य में तन, मन, आत्मा सब कुछ लगा हुआ हो उसे कामयाब हो के ही रहना है. ( विशेष नोट :- उदयन का एक तत्कालिक फायदा ये भी हुआ है कि पहलवान जी की बमबारी से आज कल हम जैसे मुल्लों, सेकुलरों को थोड़ी राहत मिली है. उदयन उन्हें सदा ऐसे ही व्यस्त रखे ये दुआ करने वाले भी हजारों होंगे. )

तो बेहद संजीदा और सार्थक इस पहल को कामयाब बनाना हम सब का फ़र्ज़ है दोस्तों. आप से जितनी मदद हो सकती है कीजिये. कपडे, शाल, स्वेटर, कापी, किताबें, रुपये-पैसे जिस चीज़ से भी आप मदद करना चाहे आपका स्वागत है. सामान भेजने के लिए कुरियर का या डाक का पता जानने के लिए अजित जी से संपर्क करे. नकद रकम के लिए एक अकाउंट भी है जिसमे आप पैसे ट्रान्सफर कर सकते हैं. डिटेल्स के लिए अजित जी से संपर्क कीजियेगा.

उदयन हम सबका है दोस्तों. और ये उन मासूम बच्चों पर कोई एहसान नहीं बल्कि हमारी मनुष्यता पर फ़र्ज़ है. आइये मिलजुलकर इस असाधारण कोशिश को कामयाब बनाएं. और दुआ करें कि ऐसे ज़ज्बे से हमारा समाज कभी खाली न हो. कहीं भी जले लेकिन ये मशाल जलती रहे. कारवां चलता रहे.

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