Tuesday, August 26, 2014

हम वो बेशर्म हैं

हम वो बेशर्म हैं,
हम वो बेदर्द हैं,
ख्वाब गंवा कर भी जिन्हें नींद आ जाती है...
सोच सोच कर भी,
जिन के जहनों को कुछ नहीं होता...
टूट फूट के भी,
जिन के दिल धड़कना याद रखते हैं...
हम वो बेशर्म हैं,
हम वो बेदर्द हैं,
टूट कर रोने की चाहत में जो,
बात बे बात मुस्कुराते हैं.....
शाम से पहले मर जाने की ख्वाहिश में जो,
जीते हैं...
और...
जीते चले जाते हैं...
-------- अज्ञात.

No comments:

Post a Comment